Updated On ब्लड टेस्ट से बीमारियों का पता लगाने के अलावा यह भी मालूम किया जा सकेगा कि कोई व्यक्ति कितने साल तक जीवित रहेगा। बोस्टन यूनिवर्सिटी के साइंटिस्ट्स का दावा है कि ब्लड में मौजूद बायोमार्कर्स के डेटा एनालिसिस के जरिए ऐसा किया जा सकता है। आपको ऐसे ही कुछ टेस्ट के बारे में बता रहे है।
1. TB
अब सामान्य रक्त परीक्षण से सक्रिय तपेदिक (टीबी) रोग की जांच की जा सकेगी। अमेरिकी शोधार्थियों के एक दल ने एक साधारण रक्त जांच का विकास किया है, जो टीबी की जांच कर सकता है। इस शोध दल में एक भारतवंशी वैज्ञानिक भी मौजूद है। कैलिफोर्निया की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक जीन की पहचान की है, जो लेटेंट टीबी (इस अवस्था में व्यक्ति के शरीर में टीबी बैक्टीरिया मौजूद होते हैं, लेकिन इसके कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं, इसलिए व्यक्ति खुद को स्वस्थ महसूस करता है) अन्य रोग और सक्रिय टीबी रोगियों के बीच भेद कर सकता है।
2. स्किन कैंसर
स्किन कैंसर की समस्या आजकल बढ़ती ही जा रही है। ये एक खतरनाक बीमारी है। ज्यादा देर तक धूप में रहने से यह समस्या किसी को भी हो सकती है। शरीर के जिन हिस्सों पर पर सूर्य की किरणे सीधी पड़ती है जैसे हथेली, उंगलियां, नाखून की त्वचा, पैर के अंगूठे की त्वचा पर कैंसर होने का खतरा ज्यादा होता है। स्किन कैंसर होने के ओर भी कई कारण है जिससे शरीर में कई बदलाव आते है अगर समय रहते उन बदलावों को पहचान कर उनका इलाज न करवा जाए तो ये जानलेवा हो सकता है। कैंसर रिसर्च यूके में स्किन कैंसर विशेषज्ञ रिचर्ड माराइस के मुताबिक अब एक सिंपल ब्लड टेस्ट के जरिए दोबारा स्किन कैंसर होने का पता लगाया जा सकता है।
3. डायबिटीज़
डायबिटीज़ के मरीज़ों का प्रतिरोधक तंत्र (शरीर की बीमारियों से लड़ने की क्षमता) उन कोशिकाओं को नष्ट कर देता है, जो शरीर में ब्लड शुगर की मात्रा को नियंत्रित करने के लिए ज़रूरी हार्मोन इंसुलिन का निर्माण करती हैं। टाइप 1 डायबिटीज़ में प्रतिरोधक तंत्र पेनक्रियाज (अग्न्याशय) की बीटा कोशिकाओं को नष्ट कर देता है, जिसकी वजह से रोगी का शरीर पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन हार्मोन निर्मित नहीं कर पाता है। जीवित रहने के लिए मरीज़ को जीवन भर इंसुलिन के इंजेक्शन नियमित तौर पर लेने पड़ते हैं। यह टाइप 2 डायबिटीज़, जो खाने की ख़राब आदतों से होती है, से अलग बीमारी है। यूनिवर्सिटी ऑफ हवाई कैंसर सेंटर यूएस के रिसर्चर्स ने ब्लड में कुछ ऐसे अनसैचुरेटेड फैटी एसिड की खोज की है जिनके टेस्ट करने से डायबिटीज़ होने का पता 10 साल पहले लग सकता है।
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4. डिहाइड्रेशन लेवल
हमारे शरीर में दो-तिहाई पानी होता है, अगर इसमें 1.5 % की कमी आ जाती है तो इसे माइल्ड डिहाइड्रेशन कहते हैं। पानी के स्तर में 3-8 % की कमी आने पर शरीर की कार्यप्रणाली और दूसरे अंगों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ने लगता है। पानी की कमी मानसिक क्रियाशीलता पर भी असर डालती है। एकाग्रता भंग होती है और बेचैनी बढ़ने लगती है। इसकी वजह है पानी की कमी के कारण शरीर के सभी अंगों तक ऑक्सीजन का न पहुंचना। पानी की कमी से सिरदर्द और चिड़चिड़ापन भी सकता है। हमारे शरीर और खून का अधिकांश हिस्सा पानी से बना है एक सिंपल ब्लड टेस्ट के जरिए शरीर में पानी की कमी यानि डिहाइड्रेशन का पता लगाया जा सकता है।
5. डिप्रेशन
हमारे शरीर में कुल 230 तरह के हॉर्मोंस होते हैं, हार्मोंस हमारी बॉडी में मौजूद कोशिकाओं और ग्रन्थियों में से निकलने वाले केमिकल्स होते हैं, जो शरीर के दूसरे हिस्से में मौजूद कोशिकाओं या ग्रन्थियों पर असर डालते हैं। इन हार्मोंस का सीधा असर हमारे मेटाबॉलिज्म, इम्यून सिस्टम, रिप्रॉडक्टिव सिस्टम, शरीर के डिवेलपमेंट और मूड पर पड़ता है। हमारी बॉडी में हर तरह के हॉर्मोन का अलग-अलग रोल होता है। किसी भी तरह के हॉर्मोन का तय से ज्यादा या कम मात्रा में निकलने को हॉर्मोन असंतुलन कहा जाता है। वैसे तो पुरुषों और महिलाओं दोनों में ही कई तरह के हॉर्मोंस पाए जाते हैं, लेकिन कुछ का असर सीधे रोजमर्रा के जीवन पर पड़ता है। आस्ट्रेलिया में हुई एक स्टडी के मुताबिक ब्लड में पाए जाने वाले एक केमिकल से पता लगाया जा सकता है कि बॉडी में हैप्पीनेस हार्मोन्स की कमी है।
6. सर्दी जुकाम वायरस
सर्दी-जुकाम होते ही सबसे पहले बेचैनी होती है, जो खतरनाक नहीं है। इसके बाद गला-नाक बंद हो जाते हैं, सायनस में सूजन आ जाती है, नाक बहने लगती है, खांसी व सिरदर्द के साथ थकान होने लगती है। सर्दी-जुकाम व फ्लू का कारण वायरस है। मायो क्लिनिक के अनुसार 100 से ज्यादा किस्म के वायरस की वजह से सर्दी-जुकाम हो सकता है। इसी तरह फ्लू के भी कई वायरस हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार मौसमी इंफ्ल्यूएंजा का कारण है तीन कॉमन वायरस ए, बी और सी। इनमें से “ए” इंफ्ल्यूएंजा वायरस सबसे ज्यादा खतरनाक है। सर्दी जुकाम से लड़ने के लिए शरीर में एंटीबॉडीज बनते हैं, जो जिंदगीभर ब्लड में मौजूद रहते हैं पहले कभी हुए सर्दी जुकाम को भी ब्लड टेस्ट के जरिए जाना जा सकता है।
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