ईबोला एक ऐसा खतरनाक वाइरस है, जो एक बहुत गंभीर बीमारी का कारण बनता है। इस बीमारी को ईबोला वाइरस रोग कहा जाता है। यदि कोई भी व्यक्ति इस वायरस की चपेट में आ जाए, तो उसके बचने के बेहद कम चांस होते हैं। इस रोग से पीड़ित 90% रोगियों की मृत्यु हो जाती है। इस वायरस के बारे में हम आपको अधिक विस्तार से बताते हैं।
ईबोला वाइरस
यह एक गंभीर बीमारी है, जो ईबोला नामक वाइरस से होती है। हाल ही में ईबोला पश्चिम अफ़्रीकी देशों में और लाइबेरिया में फैला हुआ है। ईबोला की वजह से कई रोगियों की जान जा चुकी है। ईबोला रोग की पहचान लगभग 40 साल पहले सूडान के ईबोला नदी के पास स्थित एक गांव में हुई थी। इसी कारण इसका नाम ईबोला पड़ा।
ईबोला वायरस का आकार माइक्रोस्कोप से देखने पर एक मुड़े हुए धागे जैसा दिखता है। ईबोला वायरस की 5 प्रकार की किस्में हैं, जिनमें से 4 किस्में इंसानों के लिए बहुत खतरनाक होती हैं। हर एक का नाम अफ्रीका के देशों और क्षेत्रों पर रखा गया है, अभी तक ईबोला से बचने के लिए कोई दवा या टीका (वैक्सीन) का निर्माण नहीं हुआ है। ईबोला को हेमोराजिक फीवर भी कहते हैं, क्योंकि ईबोला का संक्रमण होने पर शरीर में कही से भी ब्लीडिंग हो सकती है। ईबोला का संक्रमण होने पर लगभग 90% रोगियों की मौत हो जाती है।
1. ईबोला वायरस के लक्षण
ईबोला वायरस का संक्रमण होने के बाद 2 से 21 दिनों में (इन्क्यूबेशन पीरियड) शरीर में फैलने शुरू हो जाता है। ईबोला के लक्षण नीचे दिए गए हैं।
ईबोला वायरस के कुछ सामान्य संकेत और लक्षण 8 से 10 दिनों में नजर आने लगते हैं।
- बुखार आना।
- सिरदर्द होना।
- जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द होना।
- ठंड लगना।
- कमजोरी महसूस होना।
गंभीर लक्षण
- मतली और उल्टी होना।
- आंखों का लाल होना।
- शरीर पर दाने आना।
- सीने में दर्द और खांसी होना।
- पेट दर्द होना।
- वज़न कम होना।
- अधिक ब्लीडिंग होना।
- गंभीर स्थिति में आंखों से खून आना।
- नाक और कान से खून आने की स्थिति में मरीज की मौत भी हो सकती है।
2. किन कारणों से होता है, ईबोला वायरस?
अफ्रीकी बंदरों, चिंपाजी और इनकी अन्य प्रजातियों में ईबोला वायरस पाया गया है। फिलीपींस में बंदरों और सूअरों में ईबोला के एक हल्के प्रारूप की खोज की गई है।
1. जानवरों से मनुष्यों में संक्रमण
एक्सपर्ट्स के अनुसार दोनों वायरस जानवरों से मनुष्यों में फैलता है। उदाहरण के लिए-
- संक्रमित मांस खाने से भी ईबोला वायरस होने की संभावना बढ़ जाती है। साइंटिस्ट्स ने एक्सपेरिमेंट के जरिए इस बात को सिद्ध किया है।
- अफ्रीकी गुफाओं में पर्यटकों और कुछ भूमिगत खदान में काम करने वाले लोगों को संक्रमित चमगादड़ों के मल की वजह से ईबोला होने के मामले सामने आ चुके हैं।
2. एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में वाइरस पहुंचना
संक्रमित लोग आमतौर पर तब तक संक्रामक नहीं होते हैं, जबतक लक्षण नजर न आएं। परिवार के सदस्य अक्सर संक्रमित हो सकते हैं। दरसअल, यह इंफेक्शन एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को आसानी से संक्रमित कर देता है।
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सर्जिकल मास्क और दस्ताने का उपयोग न करने पर चिकित्सा कर्मी संक्रमित हो सकते हैं। हालांकि, कीड़े-मकोड़े के काटने से ईबोला वाइरस हो सकता है या नहीं यह अभी साफ नहीं है।
3. किन कारणों से बढ़ता है ईबोला वाइरस का खतरा?
ज़्यादातर लोगों में ईबोला वाइरस होने की संभावना कम होती है। खतरा कुछ कारणों से बढ़ सकता है:
- अगर आप ईबोला वाइरस या मारबर्ग वाइरस के संपर्क में आते हैं, तो आप जोखिम में पड़ सकते हैं या उन क्षेत्रों में अगर आप काम करते हैं।
- जानवरों के संपर्क में आने के कारण ये हो सकता है।
- संक्रमित लोग आमतौर पर तब तक संक्रामक नहीं होते हैं, जब तक लक्षण नजर न आएं। परिवार के सदस्य अक्सर संक्रमित हो सकते हैं। दरसअल, यह इंफेक्शन एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को आसानी से संक्रमित कर देता है।
- ईबोला वाइरस की वजह से अगर किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है, तो ऐसी स्थिति में भी मृत व्यक्ति के शरीर में वाइरस रहता है और ऐसे में डेड बॉडी के संपर्क में रहने से भी खतरा बढ़ जाता है।
4. ईबोला वाइरस का टेस्ट
ईबोला का निदान करना मुश्किल है, क्योंकि शुरुआती लक्षण अन्य बीमारियों जैसे- टाइफाइड और मलेरिया से मिलते जुलते हैं। यदि डॉक्टरों को संदेह होता है, कि आप ईबोला वाइरस से पीड़ित हैं, तो ब्लड टेस्ट कर फिर इलाज करते हैं।
ईबोला के निदान हेतु निम्नलिखित परीक्षण/प्रयोगशाला टेस्ट किए जाते हैं।
- एंटीबाडी-कैप्चर एंजाइम लिंक्ड इम्मुनोसोर्बेंट एस्से(एलिसा)
- एंटीजन डिटेक्शन टेस्ट
- सीरम न्यूट्रीलाईजेसन टेस्ट
- रिवर्स ट्रांसक्रिपटेस पोलीमीरेस चेन रिएक्शन (आर.टी.पी.सी.आर.)
- इलेक्ट्रान माइक्रोस्कोपी
- वाइरस आइसोलेशन
5. ईबोला वाइरस का इलाज कैसे किया जाता है?
ईबोला वाइरस से कैसे आसानी से बचा जाए, इस पर अभी भी शोध जारी है। उपचार में एक प्रयोगात्मक सीरम का उपयोग किया जाता है जो संक्रमित कोशिकाओं को नष्ट कर देता है।
डॉक्टर ईबोला के लक्षणों को ध्यान रखकर इलाज शुरू कर सकते हैं। इनमें शामिल है:
- तरल पदार्थ और इलेक्ट्रोलाइट्स
- ब्लड प्रेशर की दवाएं
- ब्लड ट्रांस्फ्यूजन
- दूसरे इंफेक्शन से बचने के लिए इलाज।
6. जिनकी मदद से ईबोला वाइरस से बचाव किया जा सकता है
ईबोला बीमारी से बचे रहने का एकमात्र तरीका यह है, कि जैसे ही किसी वाइरस के संपर्क में आएं या कम से कम जब लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से मिलें। निम्नलिखित स्थितियों में डॉक्टर से संपर्क अवश्य करें।
ईबोला वैक्सीन तैयार होने के पहले अगर ईबोला रोग भारत में या अन्य देश में यदि यह वाइरस फ़ैल जाए तो हमें क्या सावधानी बरतनी चाहिए, इस संबंध में अधिक जानकारी नीचे दी गयी है
- ईबोला के लक्षण दिखाई देने पर तुरंत डॉक्टर से जाँच करा लें।
- अच्छे साबुन या हैण्ड सानीटाईज़र से हाथ धोएं।
- खाना अच्छे से पकाएं।
- मांसाहार लेने से बचें।
- संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में जाने से बचें।
- जिस जगह पर ईबोला के रोगी ज़्यादा मात्रा में पाए जाते है, ऐसी जगह में जाने से बचें।
- लोगों से अनावश्यक हाथ मिलाना या संपर्क करना टालें।
- अपने घर और आसपास सफाई रखें।
- मच्छरों को न पनपने दें।
- जानवर का कटा हुआ आलूबुखारा\पल्प न खाएं।
- संक्रमित मृत व्यक्ति या जानवर के पास जाने की कोशिश बिल्कुल भी न करें।
- ईबोला से मरने वाले व्यक्ति के कपड़े, चद्दर और उपयोग में ली जानेवाली चीजों को न छुएं।
- भीड़भाड़ वाली जगह पर जाने से बचें।
- औपचारिकता दिखाने के लिए अस्पताल न जाएं।
- अपने आसपास के लोगो को ईबोला संबंधी जानकारी दें और सफाई बनाए रखने के लिए प्रेरित करें।
यह वाइरस कई देशों में महामारी की तरह फैलता जा रहा है। थोड़ी सी सावधानी और एहतियात रखकर ईबोला वाइरस से बचा जा सकता है, याद रखें कि रोकथाम इलाज से बेहतर है।
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