सर्दियों के मौसम में हर व्यक्ति को अपना विशेष ख्याल रखना बहुत जरुरी है। मौसम बदलने और सर्दियों की शुरूवात होते ही, बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है। सर्दी के मौसम में रोगों और ठंड से बचने के लिए केवल स्वेटर पहनना और कंबल ओढ़ना ही काफी नहीं है, बल्कि सर्दियों में सावधानी बरतने की भी जरूरत है। आज हम आपको सर्दियों में होने वाली 9 बीमारियां और उनसे बचने के उपायों के बारे में बता रहे हैं।
1. गले में खराश
सर्दियों के मौसम में गले में खराश होना एक आम हेल्थ प्रॉब्लम है। इस मौसम में तापमान लगातार बदलाव होता रहता है और गर्म रुम से बाहर ठंड में निकलने से बॉडी इसकी चपेट में आ जाती है यह समस्या बच्चों और वयस्कों में तो होती ही है, लेकिन यह प्रॉब्लम सबसे अधिक बुजुर्गों को परेशान करती है। इससे बचने के लिए ठंड में घर से बाहर निकलते समय स्कॉर्फ से चेहरा ढक लेना चाहिए और गुनगुने पानी में चुटकी भर नमक डालकर गरारा करना चाहिए। इससे गले का इंफेक्शन कम हो जाता है और खराश से राहत मिलती है।
2. अस्थमा
सर्दियों में ठंडी हवा के कारण अस्थमा के लक्षण बढ़ जाते हैं और गले में घरघराहट होने के साथ सांस लेने में भी तकलीफ होती है। अस्थमा के मरीजों को खासतौर से सर्दी के मौसम में अपना विशेष ध्यान रखना चाहिए। वास्तव में सर्दी के मौसम में कोहरे के कारण हवा में भारी मात्रा में खतरनाक एलर्जेंस मौजूद रहते हैं और इस हवा में सांस लेने से अस्थमा के रोगियों की परेशानी अधिक बढ़ जाती है। जिसकी वजह से झींक, खांसी, छाती में जकड़न जैसी समस्याएं उभरने लगती हैं। इस समस्या से बचे रहने के लिए अस्थमा रोगियों को सर्दी के मौसम में मुंह और नाक पर मास्क पहन कर ही घर से बाहर निकलना चाहिए और चाहें तो ढीले स्कॉर्फ से भी मुँह को ढक सकते हैं। इसके अलावा नियमित रुप से अस्थमा की दवाएं लेनी चाहिए और इनहेलर को हमेशा अपने पास रखना चाहिए।
3. हाथों और पैरों में समस्या
ज़्यादा ठंड की वजह से सर्दियों में हाथ पैर ठंडे पड़ने लगते हैं और कई कोशिशों के बाद भी जल्दी गर्म नहीं हो पाते हैं। इससे शरीर में कंपकंपी, थरथराहट और दांत किटकिटाने लगते हैं। इसके अलावा हाथ और पैरों में भी दर्द एवं खुजली होने लगती है। अधिक ठण्ड की वजह से कई बार उंगलियां सफेद और फिर नीली एवं अंत में लाल पड़ जाती हैं। हाथों और पैरों की छोटी रक्त वाहिकाओं में ऐंठन आ जाती है, जिससे उंगलियों में ब्लड सर्कुलेशन कम हो जाता है। इससे बचने के लिए मोजे और दस्ताने पहनने चाहिए। कंबल में पैर और हाथ डालकर बैठना चाहिए एवं लगातार सिंकाई करते रहना चाहिए। इसके अलावा एक्सरसाइज करने से भी गर्माहट आती है।
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4. फ्लू की समस्या
फ्लू को इंफ्लूएंजा भी कहा जाता है, जो संक्रामक रेस्पिरेटरी वायरस के कारण होता है। यह सर्दियों के मौसम में होने वाली एक गंभीर समस्या है। फ्लू सर्दियों में काफी लोगों को परेशान करता है। जिनकी इम्यून सिस्टम कमजोर होती है, उन्हें यह बीमारी अधिक होती है। इस समस्या की वजह से कई बार तो रोगियों की जान तक चली जाती है। इससे बचने के लिए अपनी नाक, आंख और कान को बार- बार नहीं छूना चाहिए, साथ ही पर्याप्त नींद लेनी चाहिए, हमेशा साबुन से हाथ धोना चाहिए और इस समस्या से पीड़ित व्यक्ति से दूर रहना चाहिए।
5. हार्ट अटैक
जो लोग हाई ब्लड प्रेशर और दिल की बीमारियों के शिकार हैं, उन्हें सर्दियों में अपना विशेष ख्याल रखना चाहिए। हाई ब्लड प्रेशर की समस्या इस मौसम में ज्यादा बढ़ती है। डॉक्टरों का कहना है कि सर्दियों में हाई ब्लड प्रेशर की समस्या इसलिए भी बढ़ती है, क्योंकि इस मौसम में पसीना नहीं निकलता है। इससे शरीर में नमक की मात्रा ज्यादा बढ़ जाती है। इससे बचाव के लिए नियमित ब्लड प्रेशर चेक करवाएं और दवाएं लें। जरूरी एक्सरसाइज भी करते रहें। भोजन में नमक की मात्रा कम ही कर दें।
6. ड्राई स्किन
स्किन ड्राई होने की इस समस्या से अक्सर लोग इस मौसम में बहुत परेशान रहते हैं। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि इस मौसम में वातावरण में आर्द्रता (Humidity) कम हो जाती है, जिससे त्वचा ड्राई होने की समस्या काफी बढ़ जाती है। इससे त्वचा डल हो जाती है और होठ भी फटने लगते हैं। इससे बचने के लिए नैचुरल मॉश्चराइजर लगाकर अच्छी तरह मसाज करनी चाहिए। रात को सोते समय भी बॉडी लोशन, कोल्ड क्रीम लगानी चाहिए। अधिक गर्म पानी से नहीं नहाना चाहिए, इससे स्किन और ज्यादा ड्राई होने लगती है।
7. जोड़ों में दर्द
डॉक्टरों का मानना है, कि ठंड के समय में हमारी बॉडी बहुत ज़्यादा हीट को कंजर्व करती है और हृदय और फेफडे को अधिक ब्लड सर्कुलेट करती है। इस दौरान बांह, कंधे और घुटनों की रक्त वाहिकाएं सिकुड़ जाती हैं, जिसके कारण दर्द होने लगता है। इस मौसम में आर्थराइटिस रोगियों की तकलीफ अधिक बढ़ जाती है और उन्हें घुटनों में लगातार दर्द होता रहता है। जिससे उनके जोड़ों में अकड़न के साथ दर्द होता है और उठने बैठने में अधिक तकलीफ होती है। इससे बचने के लिए रोज़ाना एक्सरसाइज, स्वीमिंग और साइकिलिंग करनी चाहिए। इसके अलावा एरोबिक भी करना चाहिए।
8. हाइपोथर्मिया की बीमारी
यह एक ऐसी कंडीशन है, जिसमें बॉडी का तापमान (टेम्परेचर) 35 डिग्री सेल्सियस से कम हो जाता है। इसके कारण शरीर एकदम ठंडा पड़ जाता है और जब आप घर से बाहर निकलते हैं या फिर पानी के संपर्क में आते हैं, तो आपको सामान्य से अधिक ठंड लगती है। इसके कारण शरीर में थरथराहट, थकान और बार-बार पेशाब की समस्या होने लगती है। अगर इसका इलाज जल्द शुरू ना कराया जाए, तो इस समस्या की वजह से व्यक्ति की मौत भी हो सकती है। इससे बचने के लिए गर्म खाद्य पदार्थ खाना चाहिए, अधिक ठंड लगने पर घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए।
9. बेल्स पाल्सी
बेल्स पाल्सी पैरालिसिस की एक ऐसी स्थिति है, जिसका असर इंसान के फेस पर पड़ता है इसे फेशियल पैरालिसिस के नाम से भी जाना जाता है। इसमें मुंह टेड़ा हो जाता है, मुंह से झाग निकलने लगता है, बोलने में जबान लड़खड़ाने लगती है और आंख से पानी आने लगता है। मांसपेशियों की कमजोरी के कारण चेहरे का आधा हिस्सा सुन्न हो जाता है। इस बीमारी का अधिकतर शिकार गर्भवती महिलाएं, सांस की समस्या से पीड़ित व्यक्ति और मधुमेह रोगी होते हैं। अधिकांश समय, बेल्स पाल्सी छह महीने के भीतर अपने आप हल हो जाती है। हालांकि, उपचार आपको जल्दी ठीक होने में मदद करेगा।
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