Updated On आपने सुबह या शाम को ब्रश करते समय अपने टूथपेस्ट में मौजूद इन्ग्रीडिएंट्स के बारे में कभी नहीं सोचा होगा। कई टूथपेस्ट में टॉक्सिक केमिकल्स होते हैं, जो ज्यादा मात्रा में शरीर के अंदर जाने पर नुकसान पहुंचा सकते हैं। ये टॉक्सिक मटेरियल्स कैंसर जैसी बीमारियों का कारण भी बन सकती है। टूथपेस्ट बनाने वाली कंपनियां पैकेज पर बहुत छोटे अक्षरों में उनके बारे में जानकारी लिखती हैं। हम आपको ऐसे 7 टॉक्सिक केमिकल्स के बारे में बताने जा रहे हैं, अगर यह केमिकल्स आपके टूथपेस्ट में भी हैं तो इसे करना अवॉइड करें।
1. ट्राइक्लोसैन
टॉक्सिक लिंक नाम की एक संस्था का दावा है कि ज्यादातर टूथपेस्ट में ट्राइक्लोसैन नाम का केमिकल मौजूद होता है, जो केमिकल के रूप में एक प्रकार का जहर है। इस केमिकल के असर से आप कैंसर और लीवर की गंभीर बीमारी का शिकार हो सकते हैं।
2. सोडियम लॉरिल सल्फेट
दरअसल हम जिस टूथपेस्ट का इस्तेमाल करते हैं। उनसे झाग उत्पन्न होता है। आपको बता दें कि टूथपेस्ट में मौजूद ये फोम एसएलएस (सोडियम लोरियल सल्फेट) नामक केमिकल से बने होते हैं। यह स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है और कैंसर का कारण भी बन सकता है। टूथपेस्ट में मौजूद इस रसायन से होने वाली समस्याएं जैसे- त्वचा, आंखों में जलन, अनडेवलेपमेंट पार्ट।
3. आर्टिफिशियल स्वीटनर्स
गर्भावस्था के दौरान आर्टिफिशल स्वीटनर्स का उपयोग नियंत्रित तरीके से किया जाना चाहिए। लेकिन सैक्रीन का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए, क्योकि इसके कारण सिरदर्द, चक्कर आना व हाथ पैर कांपना जैसी समस्या हो सकती हैं, लेकिन हम कितनी मात्रा में स्वीटनर्स लेते हैं। इसका पता लगाना मुश्किल है, क्योंकि अब स्वीटनर्स का इस्तेमाल टूथपेस्ट और कोल्ड ड्रिंक और दवाओं में किया जाने लगा है।
इसे भी पढ़े: दांतों से नाख़ून काटने से होती हैं ये 6 प्रॉब्लम
4. फ्लोराइड
फ्लोराइड दांतों के विकास को बाधित करता है और यह दांतों की सबसे ऊपरी परत इनेमल को प्रभावित करता है। फ्लोराइड के कारण इनेमल खराब हो जाता है और दांतों में कैविटी होने की संभावना बढ़ जाती है, क्योंकि इनेमल एक सुरक्षात्मक परत है। जो फ्लोराइड के कारण खराब हो जाती है और दांत ब्रीटल(भंगुर) हो जाते हैं और अपने आप गिर जाते हैं।
5. प्रॉपिलीन ग्लायकॉल
प्रॉपिलीन ग्लायकॉल एक टॉक्सिक मटेरियल है, इसका उपयोग सौंदर्य उत्पाद,दवाई के अलावा अन्य कई तरह के उत्पादों को तैयार करने में किया जाता है आमतौर पर इस थोड़ा मीठा, गंधहीन, रंगहीन पारदर्शी तैलीय तरल का स्वाद रहता है, ये नमी को अवशोषित करता है और इसे आसानी से पानी, एसीटोन, क्लोरोफॉर्म के साथ मिलाया जा सकता है। अगर प्रॉपिलीन ग्लायकॉल का इस्तेमाल अधिक मात्रा में किया जाए तो यह किसी व्यक्ति को नुकसान पहुंचा सकता है। जिसके कारण रैशेज, आंख में जलन और फेफड़ों की तकलीफ भी हो सकती है।
इसे भी पढ़े: दांतों का पीलापन होगा कम, आजमाएं ये 10 घरेलू उपाय
6. डाइएथनोलामाइन
टूथपेस्ट सहित फोम उत्पादों में डाइएथनोलामाइन या डीईए पाएं जाते हैं। डीईए हार्मोन को परिवर्तित करता है और नाइट्रेट्स का उत्पादन करता है जो कैंसर का कारण बनता है। इलिनोइस विश्वविद्यालय के प्रोफेसर के अनुसार डीईए के लिए त्वचा के बार-बार संपर्क में आने से लीवर और किडनी के कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
7. माइक्रोबीड्स
वास्तव में, सौंदर्य प्रसाधनों में छोटे प्लास्टिक के दान होते हैं जो पॉलिश और एक्सफोलिएट फेस वाश, स्क्रब और त्वचा को एक्सफोलिएट करते हैं। ये माइक्रो बीड्स हैं। इसलिए इसे बैन करने की मांग की है क्योंकि ये माइक्रो बीड्स पानी में घुलते नहीं हैं. और ये इतने छोटे होते हैं कि वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट्स से भी निकल जाते हैं, जिस वजह से ये बीड्स समुद्रों और झीलों में मिल जाते हैं।
इस आर्टिकल को भी पढ़े: अपने मोती जैसे दांतों को चमकता देखने के लिए बंद कर दीजिये इन 10 चीज़ों का उपयोग