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बस रोज लीजिए एक चम्मच यह मसाला, उम्मीद से तीन गुना कम होगा वजन

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1. वजन घटाए 

हल्दी में वजन कम करने के लिए उपयोगी गुण मौजूद होते हैं, जो जल्द ही शरीर के जमें फैट को कम कर वजन को कम करने में मदद करते हैं। इसके अलावा हल्दी कोलेस्ट्रॉल के स्तर को भी नियंत्रित करती है, जिससे वजन को बढ़ने से रोका जा सकता है। हल्दी वजन कम करने में और मोटापे के कारण होने वाली बीमारियों से बचाने में हमारी मदद करती है।

2. हार्ट

हल्दी में विटामिन सी और ई, मैग्नीशियम, नियासिन, जस्ता, और कई अन्य पोषण तत्व होते हैं। जो हमारे स्वास्थ्य की हर समस्या को हल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हल्दी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण ह्रदय (हार्ट) को विभिन्न बीमारियों से बचाते हैं। हल्दी का मुख्य यौगिक करक्यूमिन खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करके अच्छे कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाता है। जो दिल को स्वस्थ रखने में मदद करता है।

3. कैंसर

हल्दी में एंटीकैंसर गुण भी पाये जाते हैं, कई वैज्ञानिक शोधों ने भी माना है कि हल्दी का उपयोग कैंसर की रोकथाम में किया जा सकता है। जांच के दौरान पता चला कि कुछ कैंसर रोगियों को हल्दी देने से ट्यूमर का आकार कम व छोटा हो गया। इतना ही नहीं, कैंसर को मिटाने में सक्षम प्रतिरक्षा प्रणाली(इम्यून सिस्टम) में मौजूद रसायन भी सक्रिय हो जाते हैं। इसलिए कैंसर की रोकथाम के लिए हल्दी का उपयोग में लाया जा सकता है।

 

 

मधुमेह के उपचार में इंसुलिन के स्तर को कम करने के लिए हल्दी का उपयोग किया जा सकता है। मधुमेह से पीड़ित लोगों के लिए हल्दी बहुत फायदेमंद है। यह शरीर में ग्लूकोज की मात्रा को नियंत्रित करने का काम करती है, इसके अलावा हल्दी मधुमेह के कारण होने वाले घावों को ठीक करने में भी मदद करता है।

5. इन्फेक्शन से बचाव 


हल्दी में एंटीबैक्टीरियल,एंटीवायरल, एंटीफंगल के गुण पाए जाते हैं
इन्फेकशन से प्रभावित हिस्से को हल्दी मिले पानी से धोना अधिक लाभदायक होता है। इस प्रकिया को नियमित रूप से करने पर संक्रमण के प्रभाव में कमी आने लगती है। अगर संक्रमण की जगह पर हल्दी का पेस्ट को लगा दिया जाए, तो इससे भी काफी आराम मिल जाता है। यदि आप सर्दी, खासी से परेशान हैं, तो 1 गिलास गर्म दूध में 1 चमच्च हल्दी पाउडर को मिलाकर दिन में एक बार पी सकते हैं।जिससे आपको जल्द ही बेहतर आराम मिलने लगेगा।

6. डाईजेशन सुधारे

हल्दी के प्रतिदिन सेवन करने से ब्लॉटिग और गैस की समस्याए बहुत कम हो जाती है और पाचन तंत्र में भी सुधार होता है।इसके अलावा हल्दी अल्सरेटिव सहित आंतों के अधिकांश रोगों के उपचार के लिए अधिक लाभप्रद है। अगर आप पाचन समस्या से पीड़ित है, तो कच्ची हल्दी का सेवन करना अधिक उचित माना जाता है।

7. मुँह के छाले

मुंह में छाले होने पर हल्दी का इस्तेमाल करें,यह एक बहुत इस एक गिलास पानी में थोड़ी हल्दी मिलाकर कुल्ला करें।कच्ची हल्दी की गांठ को अच्छी तरह भूनकर पीस लें। मिश्रण से दर्द वाले दांत की मालिश करें, आराम मिलेगा। हल्दी, नमक व सरसों का तेल मिलाएं। दांतों को मजबूत बनाने के लिए इसकी दांतों व मसूड़ों पर मसाज करें।

8. एंटी एजिंग

त्वचा के विकारों के उपचार में हल्दी एक प्रभावी घरेलू उपचार है। इसमें एंटीबैक्टीरियल, एंटीसेप्टिक और एंटीइन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो सोरायसिस जैसी समस्याओं को भी ठीक कर सकता है। सोरायसिस में, त्वचा पर पपड़ी बनने लगती है। इसके अलावा हल्दी में एंटीऑक्सीडेंट गुण भी होते हैं, जिसके कारण यह सोरायसिस के कारण होने वाले त्वचा के घाव को जल्दी से ठीक कर सकता है। इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है।

9. साइनस

दूध में हल्दी मिलाकर पीने से सांस की बीमारियां जैसे साइनस, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और जमे हुए कफ से भी राहत मिलती है। दूध में हल्दी मिलाकर पीने से जोड़ों की बीमारी में होने वाली सूजन और दर्द से राहत मिलती है और मांसपेशियों में लचीलापन भी आता है।

10. जोड़ों में दर्द

हल्दी पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस,रूमेटोइड अर्थराइटिस, गठिया, मांसपेशियों में दर्द, पोस्ट-ऑपरेटिव दर्द और फाइब्रोमायल्गिया से संबंधित दर्द को दूर करने में मदद करती है। हल्दी में करक्यूमिन नामक तत्व होता है जो दर्द से राहत दिलाने में मदद करता है। हल्दी की चाय या हल्दी वाले दूध और हल्दी के पानी की तरह आप अपने नियमित जीवन में हल्दी का उपयोग कर सकते हैं।

ऑस्टियोआर्थराइटिस

ऑस्टियोआर्थराइटिस की बीमारी चिकनी ऊतकों (जो हड्डियों के जोड़ों को कवर करती है) को नुकसान पहुंचाती है। इस बीमारी में हड्डियों का कोना बढ़ जाता है, जिसके कारण हड्डी या जोड़ के ऊतक टूट सकते हैं और दर्द की शिकायत कर सकते हैं। ऑस्टियोआर्थराइटिस एक गठिया रोग की तरह है जो केवल जोड़ों को प्रभावित करता है। ऐसे में हल्दी का दूध इस समस्या में काफी फायदेमंद साबित होता है।

रयूमेटायड अर्थराइटिस

रयूमेटायड अर्थराइटिस एक प्रकार का गठिया है जो यूरिक एसिड के बढ़ने के कारण होता है। इस बीमारी में रोगी की उंगलियों, कलाई, पैर, टखनों, कूल्हों और कंधों में दर्द और सूजन शुरू हो जाती है। हल्दी में मौजूद करक्यूमिन एंटीऑक्सिडेंट इससे छुटकारा पाने में बहुत प्रभावी होते है।