Home Healthy Lifestyle क्यों होता है हेपेटाइटिस? ये हैं संकेत और बचाव के Tips

क्यों होता है हेपेटाइटिस? ये हैं संकेत और बचाव के Tips

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हेपेटाइटिस एक गंभीर बीमारी है। हर साल हेपेटाइटिस से लाखों लोग संक्रमित होते हैं और दुनिया भर में लगभग 1.4 मिलियन रोगी इस बीमारी से मर जाते हैं। हम आपको इस बीमारी की गंभीरता और इसके उपचारों के बारे में बताते हैं।

1. हेपेटाइटिस A (HAV)

हेपेटाइटिस ए वायरस के कारण होने वाले यकृत(लिवर) का एक संक्रामक रोग है। यह वायरस कई प्रकार के हेपेटाइटिस वायरस में से एक है, जो लिवर की सूजन का कारण बनता है और कार्य करने की क्षमता को प्रभावित करता है।

2. हेपेटाइटिस B

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया के हर तीसरे व्यक्ति को हेपेटाइटिस बी ने प्रभावित किया है। यह वायरस बहुत समय तक पकड़ में नहीं आता। जब तक यह वायरस पकड़ में आता है, तब तक बहुत देर हो चुकी रहती है। यह वायरस लिवर को काफी हद तक नुकसान पहुंचा चुका रहता है। यह वायरस संक्रमित खून, सेल्विया और संक्रमित मां से शिशु में प्रवेश करता है।

3. हेपेटाइटिस C

आंकड़ों के मुताबिक, देश भर में लगभग 35 लाख लोग ऐसे हैं जिन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि उनमें हेपेटाइटिस सी के कीटाणु हैं। एक अध्ययन में इसकी पुष्टि की गई है। हेपेटाइटिस यकृत रोगों का एक महत्वपूर्ण कारण माना जाता है। अगर समय रहते इसका इलाज न कराया जाए तो यह बीमारी लिवर कैंसर का रूप ले सकती है।

5. हेपेटाइटिस D 

हेपेटाइटिस डी एक्यूट औऱ क्रॉनिक हो सकता है। तीव्र हेपेटाइटिस के लक्षण अधिक गंभीर होते हैं। यदि इसका संक्रमण 6 महीने से अधिक समय तक रुकता है, तो इसे क्रॉनिक हेपेटाइटिस डी कहा जाता है। इसके लक्षण दिखने से पहले वायरस कई महीनों तक शरीर में ही मौजूद रहता है। इस कारण सिरोसिस की समस्या धीरे-धीरे बढ़ने लगती है।

5. हेपेटाइटिस E

इस बीमारी के वायरस मुंह के माध्यम से शरीर के अंदर प्रवेश कर सकते है। हेपेटाइटिस ई से संक्रमित किसी व्यक्ति का पानी पीने से यह वायरस हमारे शरीर में प्रवेश कर सकता है। डॉक्टरों के अनुसार हेपेटाइटिस ए और ई का इलाज संभव है और यह बीमारी खतरनाक स्तर तक नहीं पहुंचती है।

1. वायरल इन्फेक्शन 

आमतौर पर मौसम में बदलाव के कारण वायरस अधिक संक्रिय हो जाते हैं। हमारे शरीर में मौजूद एंटीबॉडी प्रोटीन भी कई बार इन्हें पहचान नहीं पाता क्योंकि ये तेजी से अपनी संरचना बदल लेते हैं। ये तेजी से शरीर, खासतौर पर नाक, गले, फेफड़े और सीने में घुस सकते हैं और कुछ ही घंटों में शरीर को संक्रमित कर देते हैं। वायरल इन्फेक्शन के कारण हेपेटाइटिस A, हेपेटाइटिस B या हेपेटाइटिस C बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है।

2. शराब    

शराब के अधिक सेवन की वजह से व्यक्ति को डिहाइड्रेशन की शिकायत हो जाती है, क्योंकि कई लोग शराब पीने के बाद उल्टी करने लग जाते हैं। जिसकी वजह से शरीर के सारे मिनरल्स खत्म होने लगते हैं। शराब को पचाने का काम लीवर का होता है और अगर व्यक्ति लिमिट से अधिक शराब पी ले तो लिवर के ऊपर जरूरत से ज्यादा लोड बढ़ जाता है। ऐसे में लिवर के फेल होने की संभावना बढ़ जाती है। अधिक शराब सीधे हमारे लिवर पर बुरा असर डालती है इसके कारण लिवर डैमेज या सूजन होना जैसी प्रॉब्लम्स होने लगती हैं ऐसे में हेपेटाइटिस का खतरा बढ़ सकता है।

3. ज़्यादा मात्रा में दवाई लेना    

कुछ निश्चित दवाओं का अधिक सेवन करना आपके लीवर के लिए बहुत हानिकारक साबित हो सकता है। अक्सर लोगों को छोटे-मोटे दर्द में बिना डॉक्टर की सलाह लिए बिना दवाई खाने की आदत होती है। एसिटामिनोफेन का डोज ज़्यादा मात्रा में लेने से ये दवाई खतरनाक रूप से लीवर को नुकसान पंहुचा सकती है। साथ ही एसिटामिनोफेन का डोज ज़्यादा मात्रा में लेने से लिवर सेल्स में सूजन भी आ जाती है इससे हेपेटाइटिस का खतरा बढ़ सकता है।

 

1. हेपेटाइटिस का टीका

नवजात शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कमजोर होती है। ऐसे में शिशु को कई रोग होने की काफी संभावनाएं रहती है, जिसके चलते उसको सुरक्षित और स्वस्थ रखना बेहद जरूरी होता है। इसी के तहत टीकाकरण के माध्यम से शिशु की रोगप्रतिरोधक क्षमता को रोगों से बचाव करने में सक्षम बनाया जाता है। हेपेटाइटिस एक संक्रामक रोग है और नवजात शिशु में इसके होने की अधिक आशंका होती है। हेपेटाइटिस वायरस से बचने का सबसे अच्‍छा तरीका यही है कि बीमारी होने से पहले ही वैक्‍सीनेटेड हुआ जाए। लेकिन, दुर्भाग्‍य की बात यह है कि हेपेटाइटिस सी और ई के लिए कोई दवा उपलब्‍ध नहीं है। हेपेटाइटिस ए की दवा एक वर्ष से ऊपर का कोई भी व्‍यक्ति ले सकता है।

2. साफ खाना और साफ पानी 

आपके स्वास्थ्य का पानी और भोजन से सीधा रिश्ता है। पीने के पानी और भोजन की स्वच्छता के मामले में यदि कोई भी असावधानी होती है तो कई तरह के रोग शरीर को घेरने में देर नहीं लगाते हैं।  ये बीमारियां गंदे पानी में रहने वाले छोटे-छोटे जीवाणुओं के कारण होती हैं, जो गंदे पानी के साथ से हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। ऐसे ही यदि भोजन बनाते समय यदि साफ़ सफाई न रखते हुए बनाया जाता है तो ऐसे में भोजन और पानी की वजह से होने वाली बीमारियों के कई कारक हो सकते हैं, जिनमें वायरस, बैक्टीरिया, प्रोटोजोआ और पेट में होने वाले रिएक्शन प्रमुख हैं। गंदा पानी पीने से बैक्टीरियल इंफेक्शन हो सकता है, जिसकी वजह से हैजा, टाइफाइड, पेचिश जैसी बीमारियां आसानी से किसी को भी अपना शिकार बना सकती हैं। इसके अलावा गंदा पानी पीने से हेपेटाइटिस भी हो सकता है। इसलिए हमेशा साफ खाना खाएं और साफ़ पानी पिएं।

3. नई सिरिंज का यूज़  

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के आंकड़ों के अनुसार दुनिया भर में 33 फीसदी हेपेटाइटिस-बी संक्रमण और 42 फीसदी हेपेटाइटिस-सी संक्रमण के लिए असुरक्षित इंजेक्शन जिम्मेदार है। ऐसे में यह गंभीर चिंता का विषय है। एक ही सीरिंज का बार-बार प्रयोग करने से हेपेटाइटिस की बीमारी का खतरा बढ़ सकता है। इसलिए हमेशा उपयोग में ली गई निडिल का दोबारा उपयोग न करें। इंजेक्शन लगवाते समय नई सिरिंज का यूज़ करें।

4. पीड़ित व्यक्ति का खाना व पानी न पिएं

हेपेटाइटिस एक बहुत ही संक्रामक रोग है, जिसमें लीवर में सूजन आ जाती है। हेपेटाइटिस का वायरस मानव शरीर के बाहर भी करीब 7 दिन ज़िंदा रह सकता है। इस दौरान इसके संपर्क में आने वाला कोई भी स्वस्थ व्यक्ति इसके संक्रमण का शिकार हो सकता है। हेपेटाइटिस वायरस से पीड़ित व्यक्ति का झूठा खाना कभी कभी नहीं सेवन करना चाहिए साथ ही पीड़ित व्यक्ति के झूठे पानी को भी नहीं पीना चाहिए नहीं तो आप भी इस समस्या की चपेट में आ सकते हैं।

5. प्रोटेक्शन का यूज़ करें  

हेपेटाइटिस के जितने भी वायरस मौजूद हैं, उनमें सबसे खतरनाक वायरस ‘बी’ माना जाता है। यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में या तो संक्रमित सूई या फिर असुरक्षित यौन संबंधों की वजह से फैल सकता है। यह वायरस ऐसा है कि इसे पूरी तरह से शरीर से खत्म नहीं किया जा सकता। लेकिन हां, दवाइयों के जरिए जरूर इसे कंट्रोल में किया जा सकता है। इसलिए यदि आप किसी हेपेटाइटिस से पीड़ित व्यक्ति के साथ रिलेशन बनाते हैं, तो प्रोटेक्शन का यूज़ अवश्य करें।

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