Home Health Tips योगा के कुछ ख़ास आसन और उनके फायदे

योगा के कुछ ख़ास आसन और उनके फायदे

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योग केवल एक व्यायाम नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी पुरानी पद्धति है, जिसके जरिए हम शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ रह सकते हैं। नियमित रूप से योग करते रहने से किसी भी प्रकार के रोग, संताप, तनाव और अनिद्रा जैसी समस्याऐं दूर ही रहती हैं। हम आपको ऐसे ही कुछ प्रमुख आसनों एवं उनसे होने वाले फ़ायदों के बारे में बताने जा रहे हैं।

योगा

योगा भारत की 10,000 वर्ष पुरानी शैली है। योग रोजाना प्रातःकाल में करने से हमारा शरीर एवं मन स्वस्थ रहता है।योगा करने से हमारी आयु भी बढ़ जाती है। इंसान योग को केवल के शारीरिक व्यायाम ही समझता है, बल्कि योग नियमित रूप में करते रहने से इंसान अपनी शारीरिक व मानसिक तकलीफों से निदान पा सकता है। योग करने से शरीर मजबूत व लचीला हो जाता है। योग करने से हमारे अंदर नव ऊर्जा का विकास होता है, जो हमारे अंदर सकारात्मकता बनायें रखती है। योग संस्कृत के युज शब्द से निकला है, जिसका मतलब है शरीर,चेतना व आत्मा का सार्वभौमिक मिलन।

आसान

आसान से तात्पर्य एक ऐसी मुद्रा है, जिसमें आप एक ही स्थान पर एक ही स्थिति में अधिक से अधिक समय तक बिना कष्ट महसूस किये बैठे रहने की क्षमता को आसान कहते हैं, आसान दो प्रकार के होते है।

गतिशील आसान– इस आसान के जरिए शरीर में अधिक फुर्ती एवं शारीरिक शक्ति बढ़ जाती है। शरीर काफी तेज़ हो जाता है।

स्थिर आसान– इस आसान के अभ्यास के जरिए शरीर को एक ही स्थान पर रखकर कम या बिना किसी गति के आराम से किया जाता है।

1. स्वस्तिकासन

स्वस्तिकासन ध्यान के लिए एक बहुत अच्छा आसान है। इस आसान को रोजाना करते रहने से ये हमें शारीरिक व मानसिक होने वाली परेशानियों से बचाता है। स्वस्तिक का अर्थ “शुभ” होता है, स्वतिस्कासन का अर्थ इस बात से लगाया जा सकता है, कि ये तन एवं मन दोनों का संतुलन बनाये रखता है, इस योग को किसी भी साफ़ स्थान पर योगमुद्रा मे बैठकर करना चाहिए। योगग्रंथ में इस आसान हठयोग प्रदीपिका, ग़ह्राण्ड संहिता में बैठकर किये जाने वाले आसनों जब भी चर्चा होती है, तो स्वस्तिकासन का नाम हमेशा ऊपर ही आता है, स्वस्तिकासन भगवान आदिनाथ के चार महत्वपूर्ण आसनों में से एक प्रमुख आसान है।

स्वस्तिकासन करने विधि और लाभ

सबसे पहले ज़मीन पर कोई भी साफ़ कपड़ा बिछाकर बैठ जाओ ओर फिर अपने बाएं पैर को दाहिनी जांघ के निचे की ओर से रखें, अपने पीठ की हडडी को सीधे रखें। फिर ध्यान मुद्रा मे बैठे ओर स्वास को खींचकर रखे अपनी यथाशक्ति तक रोककर रखें। अगर आपके शरीर में पसीना जरुरत से ज़्यादा आता है, तो स्वस्तिकासन करने से आपको बहुत फायदा होगा। अगर आपको अपनी मानसिक एकाग्रता को बढ़ाना है, तो स्वस्तिकासन का योगभ्यास अवश्य करें।

2. गोमुखासन

गोमुखासन जब हम करते हैं, तो इस आसन को करते समय हमारे पैरों की स्थिति कुछ हद तक गाय के मुख के सामान बन जाती है, इसलिए इस आसन को गोमुखासन कहते हैं। यह आसान महिलाओं के लिए बहुत लाभदायक है, यदि आप इस आसान को प्रतिदिन योगभ्यास करते रहते हैं, तो गाठिया, कब्ज और कमर दर्द जैसी समस्याओं में काफी आराम मिलेगा।

गोमुखासन विधि और लाभ

गोमुखासन योग करने का सबसे अच्छा तरीका यह है, कि सबसे पहले अपने दोनों पैरों फ़ैलाकर बैठ जाओ और अपने दोनों हाथों को बगल मे रखें, अपने दाहिने पैर को बेहिने पैर पर मोड़कर ऐसे रखे, कि दोनों घुटने एक ऊपर एक आ जायें। और फिर अपने दाए हाथ को पीठ के ऊपर से पीछे के ओर बाए हाथ से पीठ के नीचे की ओर से पकड़कर रखना चाहिए और हमेशा रीढ़ की हडडी को सीधा रखना चाहिये ओर इस चक्र को बदलते रहिये। गोमुखासन अस्तमा रोगियों के लिए बहुत ही अच्छा आसान है, इस आसान का नियमित अभ्यास करने से रोगियों को काफी राहत मिलेगी। इस आसान की मदद से बाहो की मासपेशियां भी बहुत मजबूत बन जाती हैं।

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3. प्राणायाम

प्राण मतलब हमारे जीवन की शक्ति और आयाम का मतलब नियमित करना, इसलिए हमें खुद की जीवन शक्ति को नियमित करते रहना चाहिए, जिसे हम प्राणायाम कहते हैं, प्राणायाम के अभ्यास से हमारी इच्छा शक्ति बढ़ती है, ये हमारी प्राण शक्ति को भी बढ़ाता है। प्राणायाम का नियमित रूप से अभ्यास करते रहने से यह हमारी आयुको बढ़ाने में मदद करता है। प्राणायाम हमेशा सुबह खाली पेट करना चाहिए, जिससे हमारे शरीर को ताज़ा हवा व ऊर्जा मिल सके।प्राणायाम की तीन मुख्य क्रियाएँ होती है, जो इस प्रकार हैं।

1. अनुलोम-विलोम

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आप प्राणायाम हमेशा ऐसी खुली जगह पर करें,जहां पर पर्याप्त हवा व प्रकाश मौजूद हो। अनुलोम का अर्थ सीधा और विलोम का अर्थ उल्टा होता है। इस आसन में अपने दाहिने नाक के छिद्र से सांस अंदर लेना चाहिए और बायीं नाक के छिद्र से सांस को बाहर छोड़ना रहता है, यह योग हमेशा प्रातःकाल मे ही किया जाता है। यह योग हमारे शरीर व मस्तिष्क के लिए बहुत लाभकारी होता है। अनुलोम-विलोम करने से शरीर मे फुर्तीलापन आ जाता है, इसके साथ ही भूख भी बढ़ जाती है।

2. कपालभाति प्राणायाम

कपालभाति प्राणायाम की उत्पत्ति दो शब्दों से मिलकर हुई, पहला शब्द ”कपाल” है,जिसका अर्थ होता है, माथा या सिर और दूसरे शब्द “भाति” जिसका अर्थ चमक व प्रकाश है। कपालभाति प्राणायाम में मनुष्य सांस को अंदर बाहर खींचने एवं छोड़ने की प्रकिया के बीच मे समन्वय बना के रखना पड़ता है। इस प्राणायाम को नियमित करते रहने से फेफड़ो व मष्तिष्क के रोग दूर हो जाते है और कफ, दमा जैसे रोगों मे भी काफी हद तक राहत मिलती है।

3. भ्रामरी प्राणायाम

भ्रामरी प्राणायाम करने से मन शांत रहता है और यदि आपको अधिक क्रोध आता है, तो यह प्राणायाम आपके क्रोध को कम करने मे बहुत मददगार साबित होगा। यह प्राणायाम काफी सरल है और इस प्राणायाम को आप किसी भी वक्त कर सकते हैं, इस प्राणायाम का नाम मधुमक्खियों के नाम पर रखा गया है| इस प्राणायाम करने से वाणी मे सुधार व स्वर मे मधुरता आ जाती है। भ्रामरी प्राणायाम करने से पेट के विकार हट जाते है और साथ ही साथ मन की चंचलता दूर होती है एवं मन एकाग्र रहता है। भ्रामरी प्राणायाम को नियमित करते रहने से आपके मुखमण्डल पर तेज़ बना रहता है।

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