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पथरी में ऑपरेशन हमेशा जरूरी नहीं, होम्योपैथी से चंद दिनों में मिल सकती है राहत

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Updated On पथरी एक ऐसी दर्दनाक बीमारी है, जिसके कारण 100 परिवारों में से 80 परिवार इस बीमारी से पीड़ित हैं। कई लोगो का ये मानना है, कि पथरी का सही इलाज ऑपरेशन कराना ही है, बल्कि होम्योपैथी एक ऐसी चिकित्सा पद्धति है, जो कुछ ही दिनों में पथरी के दर्द से राहत दिला सकती है। छोटे बच्चों को भी पथरी रोग हो जाता है, जिसे होम्योपैथी दवाइयां देकर जल्द ही ठीक किया जा सकता है। होम्योपैथी से इलाज कर पथरी का बार-बार बनना भी बंद हो जाता है। इनमें से कुछ रोगी अपना इलाज होम्योपैथी पद्धति से करवा लेते है और कई रोगी जानकारी के अभाव के कारण इस असहनीय दर्द को सहन करते रहते हैं। तले और मसालेदार भोजन, मोटापा और कम पानी पीने की आदतों के कारण पथरी की बीमारी हो जाती है। पथरी का साइज मूंग दाल से लेकर टेनिस बॉल के बराबर तक हो सकता है।

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पेशाब में एसिड बनाने वाले कई खनिज पाए जाते हैं, जैसे कि यूरिक एसिड, कैल्शियम और ऑक्सालेट। जब पेशाब में पानी की मात्रा कम हो जाती है, तो पेशाब गाढ़ा हो जाता है, जिससे खनिज (मिनिरल्स) एकत्र हो जाते हैं और पथरी (स्टोन्स) बनने लगती है।

पथरी के लक्षण 

पीठ या पेट में असहनीय दर्द।
दर्द जो बार-बार बढ़ता व घटता रहता है, और कुछ समय के बाद गायब हो जाता है
पेशाब में रक्त
उल्टी जैसा मन या उल्टी होना
पेशाब में जलन का होना।

पथरी खतरनाक और जानलेवा भी हो सकती है-

1. कई बार पथरी के कारण किडनी गुब्बारे की तरह फूल जाती है और दर्द तेज़ी से होने लगता है। जिसकी वजह से धीरे-धीरे किडनी ख़राब हो जाती है। एलोपैथी में गॉलब्लैडर को निकाल देने के अलावा अन्य कोई और इलाज नहीं होता है।

2. कभी-कभी लापरवाही और देरी होने के कारण पथरी घातक(जानलेवा) हो सकती है। पेट में संक्रमण के कारण किडनी फेल भी हो सकती है। यदि मधुमेह रोगी को पथरी हो जाती है, तो यह मधुमेह रोगी के लिए अधिक खतरनाक साबित हो सकती है।

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आमतौर पर पथरी 30 से 60 वर्ष की आयु की महिलाओं की तुलना में पुरुषों में चार गुना अधिक पाया जाता है। बच्चों और बड़े लोगों में मूत्राशय की पथरी अधिक ज्यादा हो जाती है, जबकि वयस्कों में ज्यादातर गुर्दे और पेशाब रास्ते, नलियों में पथरी बन जाती हैं।इसके अलावा मधुमेह रोगियों में गुर्दे की बीमारी होने की संभावना अधिक होती है। यदि कोई रोगी रक्तचाप से पीड़ित है, तो उसे नियमित दवा के साथ इसे नियंत्रित करने पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि यदि रक्तचाप बढ़ता है, तो भी गुर्दे खराब भी हो सकते हैं।

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गुर्दे की पथरी को जिसे स्टोन या रीनल कैल्केटी भी कहा जाता है, कभी-कभी पेशाब में खून भी आता है। पथरी गुर्दे या मूत्राशय के अंदरूनी भाग में पाई जाती है। इसे हाइपरपरैथायराइडिज्म से भी जोड़ा जाता है। यह कैल्शियम मूत्र द्वारा शरीर से बाहर निकल जाता है, यह गुर्दे की कोशिकाओं में एकत्र किया जाता है और पत्थरों के रूप में होता है। मूत्र में कैल्शियम की अधिकता को हाइपरकैल्सीरिया कहा जाता है। यदि ऑक्सालेट या कैल्शियम फॉस्फेट के कण अत्यधिक मात्रा में हैं, तो वे पूरी तरह से मूत्र में से नहीं गुजर सकते हैं और उसी स्थान पर एकत्र होना शुरू कर देते हैं। फिर वही पथरी के रूप मे बदल जाती है। पथरी एक इंफेक्शन व भुरभुरी होती है। पथरी धीरे-धीरे करके साइज में बड़ी होती चली जाती है। शुरू में  पथरी का साइज छोटा होने की वजह से इसके लक्षण कम नजर आते हैं और पथरी की वजह से किडनी को ज्यादा नुकसान होता है, क्योंकि लक्षण साफ न होने से कारण बीमारी के बारे मे जानकारी देर से पता चलती है।

पथरी चार प्रकार की होती है

सिस्टीन स्टोन- यह स्टोन उन लोगों से बनता है जिन्हें जेनेटिक डिसऑर्डर सिस्टीन्यूरिया है। इस प्रकार के पथरी में सिस्टीन का रिसाव (एक एसिड जो शरीर में पैदा होता है) मूत्र में होता है।

स्ट्रावेट स्टोन- इस प्रकार का स्टोन यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (UTI) से पीड़ित महिलाओं में सबसे अधिक पाया जाता है। यह पथरी गुर्दे में संक्रमण के कारण होती है। पथरी जब आकार में बड़ी हो जाती है, तो यह मूत्र में रुकावट पैदा करने लगती है।

यूरिक एसिड स्टोन- पथरी महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक होती है। जब पेशाब में एसिड ज्यादा होता है तब यह बनता है। प्यूरिन युक्त आहार मूत्र में एसिड के स्तर को बढ़ा सकता है।

कैल्शियम स्टोन- गुर्दे में पथरी में कैल्शियम स्टोन सबसे आम है। ये कैल्शियम ऑक्सलेट, फॉस्फेट या मेलिएट से बने होते हैं। चिप्स, मूंगफली, चॉकलेट, चुकंदर और पालक में ऑक्सलेट की मात्रा अधिक होती है। इन सबको खाने से पथरी होने की आशंका बढ़ जाती है।

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पथरी का होम्योपैथी मे इलाज

अगर आपकी किडनी में पथरी है तो उन्हें दवा देकर उसे पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। कुछ पथरी साइज में छोटी होती हैं जिन्हें होम्योपैथी दवाई के द्वारा बिल्कुल चूरा बन दिया जाता हैं और फिर ये पेशाब के रास्ते धीरे से बाहर निकल जाती हैं। इस बीच मे डॉक्टर किडनी फंक्शन टेस्ट (केएफटी) की जांच करते रहते हैं, जिससे पता चल जाता है कि कही पथरी का असर किडनी पर तो नहीं पड़ रहा है। उसी जांच के अनुसार दवा और खुराक तय की जाती है। कई बार ऑपरेशन के बाद दोबारा से पथरी की समस्या फिर से सामने आ जाती है। ऐसे समय पर होम्योपैथिक दवाएं बहुत प्रभावी होती हैं होम्योपैथी पद्धति द्वारा दोबारा से पथरी को बनने से रोकथाम कर देती हैं।

डॉक्टरों के अनुसार, उनके पास आने वाले मरीजों की उम्र लगभग 3 साल से लेकर 85 साल के मरीज अपनी पथरी का इलाज कराने आते हैं, जिनकी सोनोग्राफी रिपोर्ट में पथरी का आकार लगभग 1 MM से लेकर 25 MM तक भी देखी देता है। लेकिन जब पथरी का आकार ज्यादा  बड़ी हो जाता है तो दवाइयों से निकलना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। होम्योपैथिक दवाइयों से कई मरीजों की छोटी-छोटी पथरी कुछ ही दिनों में बाहर निकल गई। एक महिला मरीज जिसकी पथरी का साइज 11X6 MM था, होम्योपैथी दवाई मात्र 21 दिन तक लेने से पथरी मूत्र मार्ग से निकल गई। छोटे बच्चों को भी पथरी बन जाती है, जिन्हें कुछ ही दिनों मे होम्योपैथी दवाइयां से ठीक किया जा सकता है तथा बार-बार पथरी का बनना भी बंद हो जाता है।

पथरी के उपचार के लिए नक्स वोमिका, कैंटरिस 30, बार्बरी वुल्गारिस (बर्बेरिस वुल्गारिस (क्यू) आदि दवाएँ दी जाती हैं। गॉल ब्लैडर की पथरी के इलाज के लिए एलोपैथी में सर्जरी करके ग्लोब्लर को निकालना पड़ता है, जबकि होम्योपैथी में इसके लिए दवाइयाँ उपलब्ध कराई जाती हैं। होम्योपैथी दवाइयों से पथरी रोग से मुक्ति मिल जाती है।

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खाना खाने के लगभग एक घंटे बाद पानी का अधिक सेवन करना चाहिए। नियमित अंतराल से लगभग हर आधे घंटे या एक घंटे में पानी पीने की आदत डालनी चाहिए। किडनी की पथरी में केनबेरी का रस बहुत फायदेमंद माना जाता है, इसलिए इसका अधिक से अधिक उपयोग करना चाहिए। क्योंकि यह रस बैक्टीरिया को मूत्राशय तथा मूत्र नली की दीवार से चिपकने से रोकता है, इसलिए ये फायदेमंद माना जाता है।

इनका सेवन कम करे 

टमाटर, पालक और चौलाई सब्जियों में ऑक्सीटेट की मात्रा बहुत अधिक होती है, जिससे मूत्राशय में पथरी बन जाती है। फूलगोभी, बैंगन, मशरूम और साइट्रिक एसिड में यूरिक एसिड औरप्यूरान तत्व होते हैं। यह भी पथरी के लिए जिम्मेदार है।

मांसाहारी खाद्य पदार्थ- मांस, मछली और अंडे में यूरिक एसिड की मात्रा बहुत अधिक होती है। काजू, चॉकलेट, चॉकलेट, चाय और कॉफी में ऑक्सीट की मात्रा अधिक होती है। इन सब भी चीजों का ज्यादा सेवन करने से पथरी हो जाती है।

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