Home Food & Nutrition सावधान ! पत्तागोभी में छिपी हो सकती है ये जानलेवा चीज

सावधान ! पत्तागोभी में छिपी हो सकती है ये जानलेवा चीज

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कई लोग कच्ची पत्ता गोभी को सलाद या फास्ट फूड में यह मानकर खाते हैं, कि इससे सेहत को लाभ मिलेगा।पत्तागोभी और ऐसी ही कई सब्जियों में कई बार टेपवर्म नामक कीड़ा मौजूद होता है जो सामान्य आंखों से नजर नहीं आता है। यदि खाने के साथ कीड़ा शरीर में चला जाए तो मस्तिष्क ज्वर जैसी घातक बीमारी को जन्म दे सकता है, जिसके चलते इंसान की जान भी जा सकती है। हम आपको बता रहे हैं कि किस प्रकार ये कीड़ा पेट के अंदर जाकर नुकसान पहुंचाता है।

खाने के साथ पेट में पहुंचकर ये टेपवर्म आंतों में जाकर चिपक जाते हैं। आंतों में चिपकर ये यहां अंडे देते हैं और ये अंडे शरीर को अलग-अलग तरह से नुकसान पहुंचाते हैं। वैसे बता दें कि ये टेपवर्म सिर्फ पत्ता गोभी में ही नहीं मिलते। इसके अलावा और भी बहुत सी चीजों में ये खतरनाक कीड़ा पाया जाता है। जैसे ब्रोकली, पोर्क मीट आदि।

दरअसल, टेपवर्म से होने वाले संक्रमण को टैनिएसिस कहा जाता है। टेपवर्म की तीन मुख्य प्रजातियां टीनिया सेगीनाटा, टीनिया सोलिअम और टीनिया एशियाटिका होती हैं। शरीर में प्रवेश करने के बाद यह कीड़ा अंडे देना शुरू कर देता है। इसके कुछ अंडे हमारे शरीर में भी फैल जाते हैं, जिससे शरीर में अंदरूनी अंगों में घाव बनने लगते हैं। यह कीड़ा गोभी में काफी अंदर पत्तों में छिपा होता है। इसके अंडे और भ्रूण सख्त शेल वाले होते हैं और साधारण तापमान में नहीं मरते और ये रक्त के साथ दिमाग में चले जाते हैं और मस्तिष्क ज्वर का कारण बन सकते हैं।

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पत्तागोभी कच्ची खाने, अच्छी तरह से न धोने, प्रॉपर तरीके से न उबालने से ये कीड़ा पेट में चला जाता है। पत्ता गोभी की सब्जी को बनाने से पहले कुछ अहतियात बरत कर आप इसके कीड़े से होने वाले घातक परिणामों से बच सकते हैं। मसलन सब्जी बनाने से पहले इसको गर्म पानी में एक बार धो लें। फिर धोने के बाद इसे काटकर एक बार फिर से गर्म पानी में इसको अच्छी तरह से धो लें। स्वाद के लिए अक्सर लोग पत्ता गोभी को अधपका बनाते हैं। ऐसा न करें। जब भी इसको बनाएं तो पूरी तरह से पका कर बनाएं। पूरी तरह से पकने के बाद ये बहुत हद तक आपके स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित हो जाती है।

पेट में ये कीड़ा आंतों से चिपक जाता और वह पर अंडे देता है। हमारे पेट में मौजूद आहार को टेपवर्म अपना आहार बना लेते हैं, जिससे इनकी संख्या में लगातार तेजी से बढ़ोतरी होने लगती है। ये कीड़ा आपके लीवर और किडनी के लिए भी बेहद घातक साबित हो सकता है। इससे किडनी और लीवर में सूजन आ सकती है और घातक घाव भी हो सकते हैं।

इन अंडों से निकले लार्वा ब्लड के जरिए हमारे शरीर के दूसरे हिस्सों और ब्रेन में भी पहुंच जाते हैं। अधिकतर मामलों में पहले चरण में इनकी मौजूदगी की पहचान आसानी से नहीं हो पाती, लेकिन नर्वस सिस्टम और दिमाग में पहुंचने के बाद मरीज को मिर्गी की तरह दौरे पड़ने लगते हैं, जिसे टेपवर्म की मौजूदगी के प्रमुख लक्षणों में से एक माना जाता है। इसके अलावा सिर में तेज दर्द, कमजोरी, थकान, डायरिया, बहुत ज्यादा या बहुत कम भूख लगना, वजन कम होने लगना और विटामिन्स/मिनरल्स की कमी होना भी मुख्य लक्षणों में शामिल होते हैं। टेपवर्म किसी प्रकार के लक्षण नहीं दिखाता, लेकिन कई परिस्थितियों में यह गंभीर रोग पैदा कर सकता है। आंतों में पाए जाने वाले टेनिया सोलियम की मौजूदगी के लक्षण दिखाई नहीं देते। इसकी लंबाई 3.5 मीटर तक हो सकती है। वयस्क टेपवर्म 25 मीटर से लंबा हो सकता है और 30 सालों तक जिंदा रह सकता है।

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