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अगर आपके यूरिन में इन्फेक्शन है, तो भूलकर भी नहीं करें ये 5 गलतियां

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आजकल यूरिन इन्फेक्शन की समस्या बहुत तेजी से बढ़ती जा रही है। इसका मुख्य कारण स्वच्छता न बनाए रखना है। यह आमतौर पर एक यूरिनरी कॉर्ड में होने वाला एक इन्फेक्शन है, जिसे यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (UTI) कहते हैं। इसके कारण प्राइवेट पार्ट में जलन, बार-बार पेशाब आना या पेशाब पर कन्ट्रोल न हो पाना जैसी समस्याएं होती हैं। अगर इस दौरान कुछ गलतियां होती हैं, तो यह समस्या ओर भी बढ़ जाती है।

यूरिन रोककर रखना

अगर आप कई घंटो तक यूरिन को रोक कर रखते हैं, तो ऐसा बिल्कुल भी न करें। ऐसा करने से बैक्ट्रीरिया जमा होने लगते हैं। तेज आ रही यूरिन को रोकना नहीं चाहिए। जब भी पेशाब लगे तुरंत जाएं ओर पेशाब कर लें। वरना यूटीआई होने का खतरा और भी बढ़ जाता है।

क्यों होता है यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (UTI)   

यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्‍शन(UTI) बैक्टीरिया, फंगस और वायरस के कारण होने वाला एक संक्रमण है, जो पेशाब नली से होते हुए ब्लैडर तक पहुंच कर संक्रमण फैला देते हैं। इन समस्याओं का सबसे मुख्य कारण ई-कोली बैक्टीरिया होता है। जिसकी वजह से कई बार ब्लैंडर में सूजन भी आ जाती है। यह समस्या गुप्तांगों की सफाई न रखने की वजह से होती हैं। सिर्फ शादीशुदा, वृद्ध महिलाओं को ही नहीं बल्कि कम उम्र की लड़कियों को भी यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्‍शन (UTI) की समस्या का सामना करना पड़ सकता है।

1. कम पानी पीना

दिनभर में आपको ज्यादा से ज्यादा मात्रा में पानी पीना चाहिए, जो आपके ब्लैंडर में जमा हुए बैक्टीरिया को बाहर निकल में मदद करते हैं। जिससे आपको इस समस्या से राहत मिलती है। आप एक दिन में कम से कम 8 से 12 गिलास पानी अवश्य पीएं। अगर आप दिनभर में बहुत कम मात्रा में पानी पीते हैं, तो शरीर से बैक्टीरिया बाहर नहीं निकल पाते है, जिसकी वजह से यूरिन इन्फेक्शन की समस्या हो सकती है।

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2. हाइजीन न रहना

हमेशा एक साफ शौचालय का ही उपयोग करें। यह समस्‍या सफाई न रखने की वजह से ज्यादा होती है। इस इन्फेक्शन से बचने के लिए प्राइवेट पार्ट की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। महिलाओं को इंडियन सीट्स ही यूज करनी चाहिये, इसके अलावा टॉयलेट यूज करने से पहले और बाद में फ्लश जरूर कर देना चाहिए। अगर आप अपने प्राइवेट पार्ट व शौचालय की साफ-सफाई थोड़ी सी भी लापरवाही करते हैं, तो ऐसे में यूरिन इन्फेक्शन का खतरा हो सकता है।

3. सेल्फ मेडिकेशन

कई बार इस समस्या से परेशान होकर आप अपने हिसाब से ही दवा ले लेते हैं और उनका सेवन काफ़ी लम्बे समय तक करते रहते हैं जिसकी वजह से किडनी में इन्फेक्शन या किडनी डैमेज होने का खतरा बढ़ जाता हैं इसलिए डॉक्टर से परामर्श किये बिना किसी तरह की दवाई का सेवन नहीं करना चाहिये।

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4. एंटीबायोटिक्स बंद कर देना

कहीं यह समस्‍या भयानक रूप ना ले लें इसी डर के कारण अक्‍सर यूटीआई होने के बाद महिलाएं अपनी एंटीबायोटिक्‍स लेना बंद कर देती है, लेकिन कोई भी एंटीबायोटिक्‍स लेने से पहले या बंद करने से पहले डॉक्टर से एक बार सलाह अवश्य लें। एकदम से एंटीबायोटिक का सेवन बंद न कर दें। इस कारण कहीं यूरिन इन्फेक्शन ओर भी बढ़ सकता है।

5. किडनी स्टोन की प्रॉब्लम से

यूरिन में अधिक स्टोन बनाने वाले पदार्थ- कैल्शियम और यूरिक एसिड के कारण ऐसे तत्व जमा होने लगते है, जो छोटे-छोटे कंकड़ के टुकड़ों जैसे होते हैं। ऐसे स्टोन्स यूरिनरी ट्रैक्ट के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकते हैं। इसमें किडनी और ब्लैडर दोनों ही शामिल है। इस वजह से यह समस्या अधिक बढ़ सकती है।

6. यूट्रस की प्रॉब्लम रहने से

गर्भावस्था के दौरान यूटरस बड़ा होने लगता है जिसके कारण ब्लैडर पर दबाव अधिक पड़ता है। जिसकी वजह से महिलाओं को पेशाब रुक-रुक कर आती है, और इन महिलाओं के यूरिन आने वाले भाग का मार्ग आंशिक रूप से बंद हो जाता है, इसीलिए महिला को हर थोड़ी देर में बार बार पेशाब आने लगती है।

7. प्रोस्टेट ग्लैंड के बढ़ने से

प्रोस्टेट पुरुषों में एक अखरोट के आकार की एक महत्वपूर्ण ग्रंथि होती है। जो ब्लैडर के निचले भाग में होती है। यह सीमेन में जाने वाले रस को बनाने का काम करता है। यह ग्रंथि केवल पुरुषों में ही पायी जाती है। व्यक्ति की आयु बढ़ने के साथ-साथ कई बार उस व्यक्ति की प्रोस्टेट ग्रंथियां बड़ी हो जाती हैं, जो कि परेशानी का कारण बनने लगती हैं। यदि रात के समय आपको 1-2 बार पेशाब तेज़ी से लगे या महसूस हो तो यह प्रोस्टेट ग्रंथि के बढ़ने का शुरुआती संकेत हो सकता है और यदि पेशाब करते समय होने वाली परेशानी, बालों का सफेद होना, अंडकोष का बड़ा होना आदि भी प्रोस्टेट ग्रंथि के बढ़ने के लक्षण होते हैं।

8. पीरियड्स के दौरान हॉर्मोनल चेंजेस होने से

पीरियड्स के समय हर फीमेल की जिंदगी के 5 -7 सबसे खराब दिन होते है। पीरियड्स के दौरान ब्लीडिंग और मसल्स में तेज दर्द होने के कारण महिलाएं परेशान हो जाती हैं। पीरियड्स में हार्मोनल परिवर्तन होते हैं। जिनका असर मस्तिष्क पर भी पड़ता है और थोड़ा बहुत असर शरीर में भी नज़र आता है। पीरियड्स के दौरान ज्यादा समय तक एक ही पैड को लगाए रखने की वजह से वेजाइना के आसपास लगातर नमी बानी रहती है जिससे इन्फेक्शन होने का खतरा अधिक बढ़ जाता है।

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